"खेती का नया युग – पुनर्योजी खेती के संग!"
🌿 पुनर्योजी कृषि क्या है?
पुनर्योजी कृषि (Regenerative Agriculture) एक ऐसा खेती का तरीका है जो मिट्टी की सेहत सुधारता है, जल संरक्षण करता है, जैव विविधता बढ़ाता है और पर्यावरण को संतुलित रखता है। इसका लक्ष्य केवल उपज लेना नहीं, बल्कि धरती माँ को भी पोषण देना है।
🔥 क्यों अपनाएं पुनर्योजी खेती?
✅ मिट्टी की उर्वरता में सुधार
✅ सिंचाई पर कम निर्भरता
✅ रासायनिक खादों और कीटनाशकों की बचत
✅ फसल की गुणवत्ता और उत्पादन में वृद्धि
✅ पर्यावरण और स्वास्थ्य दोनों की रक्षा
👨🌾 पुनर्योजी कृषि अपनाने के आसान चरण:
🪴 चरण 1: मिट्टी को जिंदा करें – मल्चिंग और ढँककर खेती करें
- फसल कटने के बाद अवशेष खेत में छोड़ें
- जैविक मल्च का प्रयोग करें (घास, पत्तियाँ, भूसा)
🌾 चरण 2: फसल चक्र अपनाएं – एक ही फसल बार-बार न बोएं
- गेहूं के बाद चना, धान के बाद मक्का जैसी विविध फसलें लें
- इससे कीट और बीमारियों से भी बचाव होता है
🐄 चरण 3: देसी गाय आधारित जैविक खादों का प्रयोग करें
- गोबर से जीवामृत, घनजीवामृत, पंचगव्य बनाएं
- इससे मिट्टी में लाभकारी जीवाणु बढ़ते हैं
🌾 चरण 4: बिना जुताई खेती (Zero Tillage)
- बार-बार जुताई से बचें
- इससे मिट्टी का जीवन संतुलित रहता है और पानी की बचत होती है
🌻 चरण 5: मिट्टी की जाँच कर उर्वरक योजना बनाएं
- साल में एक बार मृदा परीक्षण करें
- अनावश्यक उर्वरक खर्च से बचें
🐝 चरण 6: जैव विविधता बढ़ाएं
- खेत की मेड़ पर फूलों वाले पौधे, मधुमक्खी पालन, और मिश्रित खेती करें
📝 महत्वपूर्ण सुझाव:
- शुरुआत छोटे प्लॉट से करें
- खर्च कम और लाभ अधिक पाने पर धीरे-धीरे पूरी खेती में अपनाएं
- अपने गांव या क्लस्टर में अन्य किसानों को भी प्रेरित करें
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